( मेरे ब्लॉग  पर पहली बार....मेरे लिए कुछ लिखता मेरा प्यार....)
तेरी  बातें , तेरी  नादानी , तेरा वो समझाना मुझे  
सब जानते  हुए  भी  नादां  बनी  बैठी  थी 
पर  सच  से  कब तक  मुँह   मोड़ती
तू  आया  इक दिन  मेरे  लबों  की  हँसी  लेकर 
देख , आज  भी  वो  मुस्कुराहट   बरकरार  है
टूट  जाता  अगर  मेरा  ख्वाब  ऐसे  ही,
तो  ना  मैं  होती , ना  मुझे  बनाने  वाला , ना  वो  ख्वाब  दिखाने  वाला  
इक  दिन  आँखें   मीचे  सोयी  थी , तूने  धीरे  से  खोला  उन्हें ,
और  कहा , देख  तो  ज़रा  तेरा ख्वाब  मुकम्मल  है
हाँ  मुझे  याद  आता  है , वही  ख्वाब  जो  इक  रोज़  देखा  था 
आज  हकीकत   बन  सामने  है  मेरे ...
-  Mrs.Nirmal kumar

15 comments:
बहुत सुन्दर रचना...
साझा करने का शुक्रिया ...
अनु
बहुत-बहुत सुन्दर रचना...
:-)
वाह ... बेहतरीन
"उनसे" कहिये और लिखें...
:-)
बेहतरीन,,,,मैडम जी से कहें रचनाये लिखना निरंतर जारी रखे,,,,बधाई
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
जी बिल्कुल...
जी बिल्कुल...
वाह ...बहुत खूब ....अच्छा लगा ...ही लिखती रहे ...शुभ आशीष के साथ ..अंजु (अनु)
ख्वाब हकीक़त हो गया अब मिलकर सुन्दर रचनाओं से इस ब्लॉग को सजाइए... पहला फूल इतना सुन्दर है तो गुलदस्ते कितने खूबसूरत होंगे... शुभकामनायें
मेरी रचना को इतना अधिक प्रेम देने के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया .आगे भी कोशिश जारी रहेगी कि आप सभी के लिए कुछ लिख पाऊं........
Mrs. Nirmal kumar
बहुत बहुत शुक्रिया.....
आप के अपार स्नेह के लिए धन्यवाद ..कोशिश रहेगी कि आगे भी इन फूलों कि खुशबू महकती रहे
बहुत बहुत धन्यवाद ...
बहुत बहुत धन्यवाद ...
तहे दिल से शुक्रिया .....
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