मेरी 50 वीं पोस्ट मेरे ब्लॉग पर...
देखना है तो फिर खुलकर तमाशा देखिये
जो नहीं मुझ पर यकीं तो आज़मा कर देखिये
जो नहीं मुझ पर यकीं तो आज़मा कर देखिये
गाँव से अच्छी लगी दिल्ली मगर बस चार दिन,
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
कोई भी अखबार लो ख़बरें वही सब एक सी ,
मार दी एक और बहू ज़िन्दा जलाकर देखिये
मार दी एक और बहू ज़िन्दा जलाकर देखिये
शर्म से, फाँसी लगाकर मर गयी इंसानियत,
वहशियों का हौसला बढ़ता यहाँ फिर देखिये
वहशियों का हौसला बढ़ता यहाँ फिर देखिये
इश्क हमने भी किया था, जान पर बन आयी थी,
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
-कुमार