अब उठो पथिक संहार करो
जो आगे आये वार करो
आँखों में भर लो अंगारे
और हुँकारों से बात करो
ये वक़्त नहीं चुप रहने का
ये वक़्त नहीं सब सहने का
जो सत्तारस में डूबे हैं
उनकी गर्दन पे धार धरो
अब उठो पथिक संहार करो...
बहरों को शोर सुनाई दे
चहुँ ओर ये आग दिखाई दे
जो मासूमों का दमन करे
उस बल को तार तार करो
अब उठो पथिक संहार करो...
- kumar