गया इक रोज मुझे छोड़,मेरा चाहने वाला
तकती आँखों की फिर आज तमन्ना है वही,
हँसे फिर आज मुझ पर,मेरा चाहने वाला
वो नाज़िर था मेरा,संगदिल नहीं यारों,
खून ए जिगर को लोटेगा,मेरा चाहने वाला
काश जाते हुये वो हुनर भी दे जाता मुझको,
जैसे भूला है मुझको, मेरा चाहने वाला
हम तो पत्थर हैं,रोयेंगे तो क्या रोयेंगे, ?
बस कोई पत्थर ना फिर पाये,मेरा चाहने वाला
-kumar