कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर
दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए
तू सदियों की बातें,ना बार बार कर
अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर
इन कांपते लबों को कहने दे आज सब
तू जमाने की बातें,ना बार बार कर
मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
kumar
40 comments:
इन कांपते लबों को कहने दे आज सब
तू जमाने की बातें,ना बार बार कर
बहुत बढ़िया सर ।
सादर
ग़ज़ल को आप नए अंदाज़ दे रहें हैं कुमार साहब और अभी तो इश्क कि इब्तिदा है इन बिम्बों में ग़ज़ल के छोटे छोटे शब्द चित्रों में आगे आगे देखिए होता है क्या -"कहतें हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़े बयाँ और ,हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे ....."तबियत खुश हो गई आपको पढ़ के -चलिए एक शैर आपकी नजर यूं भी -
कुछ लोग इस तरह जिंदगानी के सफ़र में हैं ,
(और )दिन रात चल रहें हैं ,मगर घर के घर में हैं .
bhaut khubsurat gazal....
@veerubhai,
सर आपने मेरा इतना होंसला बढाया...इसके लिए मैं आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ.....
वैसे आपका शेर बड़े कमाल का है....
शुक्रिया
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
bahu sundar bhavabhivyakti.
कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर
दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए
तू सदियों की बातें,ना बार बार कर
waah, bahut hi achhi gazal
KAMAL KA SER LIKHA HAI....
JAI HIND JAI BHARAT
subhaan allah, kya khoob likha hai aapne
अच्छी कविता, प्यारी कविता!!
मैंने वैसे तो पढ़ी हैं कई बार तेरी आँखें
पर कभी तू भी तो लफ्जों में प्यार का इज़हार कर
:)
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने
सुन्दर ग़ज़ल . सुन्दर अभिव्यक्ति .
दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए
तू सदियों की बातें,ना बार बार कर
वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !
कल 01/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कल 02/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
माफ कीजयेगा पिछले कमेन्ट मे तारीख गलत हो गयी थी
वाह बेहतरीन !!!!
.... क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !
कुमार साहब ये जीवन एक नखलिस्तान है ,ओएसिस है ,चंद लम्हात ही आदमी जीता है ,अपलक निहारता है निहारता रह जाता है उसके बाद फिर वही .........हम आपके सर नहीं आपका आदर भाव सर -माथे पर .यह ब्लॉग जगत एक परिवार है और आप हमारे परिवारी हैं ,ब्लोगिया परिवार के होनहार युवा .कल आपका है .हम तो जी लिए अब तो रिहर्सल है .दोबारा तिबारा जीते चले जाने का दोहराव ,.....
कुमार साहब ये जीवन एक नखलिस्तान है ,ओएसिस है ,चंद लम्हात ही आदमी जीता है ,अपलक निहारता है निहारता रह जाता है उसके बाद फिर वही .........हम आपके सर नहीं आपका आदर भाव सर -माथे पर .यह ब्लॉग जगत एक परिवार है और आप हमारे परिवारी हैं ,ब्लोगिया परिवार के होनहार युवा .कल आपका है .हम तो जी लिए अब तो रिहर्सल है .दोबारा तिबारा जीते चले जाने का दोहराव ,.....
लीजिए कुछ और शैर सुनिए युवा दिलों के लिए -
अंदाज़ अपना आईने में देखतें हैं वो ,
और ये भी देखतें हैं कोई देखता न हो .
आइना देख के ये देख संवरने वाले ,
तुझपे बेजा तो नहीं मरतें हैं मरने वाले .
और एक यह भी -मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,मुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
यहाँ भी तशरीफ़ लायें ,टिपियाएँ .....
umdaa...behtareen...
tere hi noor-e-rukh se raaz-e-mahobbat bayaan hoga ab....
meri ye chashm-e-nam jo bujh gayi hai to kya.......
कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर
खूबसूरत गजल....
मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
बेहतरीन महक शब्दों की ...बहुत बहुत बधाई
उदासी तो छा जाती है खुद ब खुद ..
जब घर जाने की बात लबों पर आती है ..
कितना भी गुजार लें हम समय साथ साथ ..
जाते ही तुम्हारे हमारी आँखें भर आती हैं ...
kumar ji thats great lines written by you..
god bless you.....
achchhe ashaar...achchhi ghazal...badhai!
बहुत सुन्दर रचना, बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.
क्या बात.. बहुत सुंदर
मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
wah bandhu,
sach batau ....is line ne mujhe gahre tak chhuwa..
gazal ki har ek sher adhbhut hai.
bahdai.
अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर ...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियाँ !दिल को छू गई! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://www.seawave-babli.blogspot.com/
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी है .बहुत सुन्दर रचना
अभी न आओ छोड़ के दिल अभी भरा नहीं .....खूब अंदाज़ हैं कुमार साहब आपके .सलामत रहो .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
मंगलवार, २ अगस्त २०११
यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए
http://sb.samwaad.com/2011/08/blog-post.h
अभी न आओ छोड़ के दिल अभी भरा नहीं .....खूब अंदाज़ हैं कुमार साहब आपके .सलामत रहो .
http://veerubhai1947.blogspot.com/ हाले दिल उनको सुनाया गया ,जो दिल में था बताया न गया .
मंगलवार, २ अगस्त २०११
यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए
http://sb.samwaad.com/2011/08/blog-post.h
अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर
Wah! Kya baat hai!
कुमार साहब बहुत कशिश के साथ अन्दर से निकलें हैं ये अलफ़ाज़ एक मिलन भेंट को रूपायित करते ,आप औरों के प्रति भी संवेदन शील और स्नेह शील हैं ,आप ता -उम्र ये मिठास बनाएं रहें अपने लेखन में .आदाब .
अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा ,
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर .
और शब्द चित्र क्या होता है इससे अलहदा ?
.कृपया यहाँ भी कृतार्थ करें .http://veerubhai1947.blogspot.com/‘
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/http:// http://sb.samwaad.com/
इन कांपते लबों को कहने दे आज सब
तू जमाने की बातें,ना बार बार कर
इन लम्हात को कुछ और पल रहने दे .........बहुत खूब .
मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
बहुत खूब .....!!
बेहतरीन अभिव्यक्ति..........
आपको रामनवमी और मूर्खदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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कल 02/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर
...न जाने कितनी बार...कितनी तरह से यह इल्तिजा की गयी होगी .....अपने दिन याद आ गए ...बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर !
वाह ...बहुत खूब ।
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