Saturday, 30 July 2011

मुलाक़ात





कुछ  पल  तो  हँसने दे  मुझे,ना  उदास   कर 
तू   घर  जाने  की  बातें,ना  बार  बार  कर 

दो  लम्हे  बीते  होंगें,साथ  बैठे  हुए 
तू  सदियों  की  बातें,ना  बार  बार  कर 

अभी  डूबना  बाकी है  तेरी  आँखों  में मेरा     
तू  नज़रें झुका  के  बातें,ना  बार  बार  कर 

इन  कांपते  लबों  को  कहने  दे  आज  सब 
तू  जमाने  की  बातें,ना  बार  बार  कर 

मैं  फूल  हूँ,जुल्फों  में  रख,महकता  रहूँगा 
तू  घर  सजाने  की  बातें,ना  बार  बार  कर 

kumar


40 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

इन कांपते लबों को कहने दे आज सब
तू जमाने की बातें,ना बार बार कर

बहुत बढ़िया सर ।

सादर

virendra sharma said...

ग़ज़ल को आप नए अंदाज़ दे रहें हैं कुमार साहब और अभी तो इश्क कि इब्तिदा है इन बिम्बों में ग़ज़ल के छोटे छोटे शब्द चित्रों में आगे आगे देखिए होता है क्या -"कहतें हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़े बयाँ और ,हैं और भी दुनिया में सुखन वर बहुत अच्छे ....."तबियत खुश हो गई आपको पढ़ के -चलिए एक शैर आपकी नजर यूं भी -
कुछ लोग इस तरह जिंदगानी के सफ़र में हैं ,
(और )दिन रात चल रहें हैं ,मगर घर के घर में हैं .

सागर said...

bhaut khubsurat gazal....

Arvind kumar said...

@veerubhai,
सर आपने मेरा इतना होंसला बढाया...इसके लिए मैं आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ.....

वैसे आपका शेर बड़े कमाल का है....
शुक्रिया

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

shalini kaushik said...

bahu sundar bhavabhivyakti.

रश्मि प्रभा... said...

कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर

दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए
तू सदियों की बातें,ना बार बार कर
waah, bahut hi achhi gazal

SAJAN.AAWARA said...

KAMAL KA SER LIKHA HAI....
JAI HIND JAI BHARAT

chandra said...

subhaan allah, kya khoob likha hai aapne

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

अच्छी कविता, प्यारी कविता!!

shephali said...

मैंने वैसे तो पढ़ी हैं कई बार तेरी आँखें
पर कभी तू भी तो लफ्जों में प्यार का इज़हार कर
:)

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने

रेखा said...

सुन्दर ग़ज़ल . सुन्दर अभिव्यक्ति .

Dr Varsha Singh said...

दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए
तू सदियों की बातें,ना बार बार कर

वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 01/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 02/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
माफ कीजयेगा पिछले कमेन्ट मे तारीख गलत हो गयी थी

संजय भास्‍कर said...

वाह बेहतरीन !!!!
.... क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !

virendra sharma said...

कुमार साहब ये जीवन एक नखलिस्तान है ,ओएसिस है ,चंद लम्हात ही आदमी जीता है ,अपलक निहारता है निहारता रह जाता है उसके बाद फिर वही .........हम आपके सर नहीं आपका आदर भाव सर -माथे पर .यह ब्लॉग जगत एक परिवार है और आप हमारे परिवारी हैं ,ब्लोगिया परिवार के होनहार युवा .कल आपका है .हम तो जी लिए अब तो रिहर्सल है .दोबारा तिबारा जीते चले जाने का दोहराव ,.....

virendra sharma said...

कुमार साहब ये जीवन एक नखलिस्तान है ,ओएसिस है ,चंद लम्हात ही आदमी जीता है ,अपलक निहारता है निहारता रह जाता है उसके बाद फिर वही .........हम आपके सर नहीं आपका आदर भाव सर -माथे पर .यह ब्लॉग जगत एक परिवार है और आप हमारे परिवारी हैं ,ब्लोगिया परिवार के होनहार युवा .कल आपका है .हम तो जी लिए अब तो रिहर्सल है .दोबारा तिबारा जीते चले जाने का दोहराव ,.....
लीजिए कुछ और शैर सुनिए युवा दिलों के लिए -
अंदाज़ अपना आईने में देखतें हैं वो ,
और ये भी देखतें हैं कोई देखता न हो .
आइना देख के ये देख संवरने वाले ,
तुझपे बेजा तो नहीं मरतें हैं मरने वाले .
और एक यह भी -मोहब्बत में कोई मुसीबत नहीं है ,मुसीबत तो यह है मोहब्बत नहीं है .

virendra sharma said...

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
यहाँ भी तशरीफ़ लायें ,टिपियाएँ .....

Rashmi Garg said...

umdaa...behtareen...

tere hi noor-e-rukh se raaz-e-mahobbat bayaan hoga ab....

meri ye chashm-e-nam jo bujh gayi hai to kya.......

संध्या शर्मा said...

कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर

खूबसूरत गजल....

Vandana Ramasingh said...

मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
बेहतरीन महक शब्दों की ...बहुत बहुत बधाई

Aryan said...

उदासी तो छा जाती है खुद ब खुद ..
जब घर जाने की बात लबों पर आती है ..

कितना भी गुजार लें हम समय साथ साथ ..
जाते ही तुम्हारे हमारी आँखें भर आती हैं ...


kumar ji thats great lines written by you..
god bless you.....

devendra gautam said...

achchhe ashaar...achchhi ghazal...badhai!

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर रचना, बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात.. बहुत सुंदर

Ravi Rajbhar said...

मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर
wah bandhu,

sach batau ....is line ne mujhe gahre tak chhuwa..
gazal ki har ek sher adhbhut hai.

bahdai.

Urmi said...

अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर ...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियाँ !दिल को छू गई! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://www.seawave-babli.blogspot.com/

Amrita Tanmay said...

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी है .बहुत सुन्दर रचना

virendra sharma said...

अभी न आओ छोड़ के दिल अभी भरा नहीं .....खूब अंदाज़ हैं कुमार साहब आपके .सलामत रहो .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
मंगलवार, २ अगस्त २०११
यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए
http://sb.samwaad.com/2011/08/blog-post.h

virendra sharma said...

अभी न आओ छोड़ के दिल अभी भरा नहीं .....खूब अंदाज़ हैं कुमार साहब आपके .सलामत रहो .
http://veerubhai1947.blogspot.com/ हाले दिल उनको सुनाया गया ,जो दिल में था बताया न गया .
मंगलवार, २ अगस्त २०११
यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए
http://sb.samwaad.com/2011/08/blog-post.h

kshama said...

अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर
Wah! Kya baat hai!

virendra sharma said...

कुमार साहब बहुत कशिश के साथ अन्दर से निकलें हैं ये अलफ़ाज़ एक मिलन भेंट को रूपायित करते ,आप औरों के प्रति भी संवेदन शील और स्नेह शील हैं ,आप ता -उम्र ये मिठास बनाएं रहें अपने लेखन में .आदाब .
अभी डूबना बाकी है तेरी आँखों में मेरा ,
तू नज़रें झुका के बातें,ना बार बार कर .
और शब्द चित्र क्या होता है इससे अलहदा ?

virendra sharma said...

.कृपया यहाँ भी कृतार्थ करें .http://veerubhai1947.blogspot.com/‘
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/http:// http://sb.samwaad.com/
इन कांपते लबों को कहने दे आज सब
तू जमाने की बातें,ना बार बार कर
इन लम्हात को कुछ और पल रहने दे .........बहुत खूब .

हरकीरत ' हीर' said...

मैं फूल हूँ,जुल्फों में रख,महकता रहूँगा
तू घर सजाने की बातें,ना बार बार कर

बहुत खूब .....!!

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति..........

Yashwant R. B. Mathur said...

आपको रामनवमी और मूर्खदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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कल 02/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Saras said...

कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर
तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर
...न जाने कितनी बार...कितनी तरह से यह इल्तिजा की गयी होगी .....अपने दिन याद आ गए ...बहुत सुन्दर !

Coral said...

बहुत सुन्दर !

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द