ना जाने कब तक बेबस ज़िन्दगी तबाह होती रहेगी ?
ना जाने कब अमन का सूरज अपनी धूप इस जमीं पर बिखेरेगा ?ना जाने कब लौटेगा वो शख्स जो गया था यह कहकर कि " बस अभी आया " ?
रह रहकर बस यही खयाल आता है कि -
ऐ खुदा तू भूख को भी बम बना देता
तो हर शख्स सर से कफन हटा देता ।
हमसे पूछो पल पल मरने का सबब
काश कोई यूँ ही गर्दन दबा देता ।
ग़र यूँ ही मरना है तो क्या परिबार क्या बच्चे
क्या कशिश कोई माँ का आँचल ओढा देता ?
हजारों काम हैं करने पर किसको करूं पहले ?
मुझे ऐ काश कोई मौत का दिन ही बता देता ।
ये दर्द ना होता इस मासूम शहर में
ग़र काफ़िरों को वो अपना ईमां नहीं देता ।
-kumar
26 comments:
हजारों काम हैं करने पर किसको करूं पहले ?
मुझे ऐ काश कोई मौत का दिन ही बता देता ।
बहुत खूब कुमार जी याद आ गयी ये पंक्तियाँ
''मौत का एक दिन मुअय्यन है,नींद क्यों रात भर नहीं आती .
बहुत ख़ुब लिखा है आपने.... बस बेवस के जगह बेबस कर दो।
बहुत खूब .....
आपके पास शब्द हैं , भाव हैं ....
बस यूँ ही लिखते रहें .....
बेहद दर्द झलक रहा है... सामायिक और कशिश भरी रचना ...बधाई... शुभकामना..
उफ़, इतना दर्द,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
उद्देश्यपूर्ण और सार्थक पोस्ट
bahut acchi kavita hai
बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुति!
प्रिय कुमार
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
@--Ryn->
Nabi Na The Magar Insaan Pe Jaan Chhirrakte The..
Suna Hai Agle Zamane Ke Log Achhe The..
Woh Hastiyaan Bhi Ajab Woh Bastiyaan Bhi Ajab..
Keh Aandhiyon Me Bhi Jin Ke Chiragh Jalte The..
.
best of luck dear....
so sweet..bindas likha...kya jivan kya jindgi...
aap sabhi ka bahut bahut shukriya......aap sabhi se bahut kuchh sikhna baki hai.....
बहुत खूब..बहुत मार्मिक और भावपूर्ण...बहुत सशक्त प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर भावपूर्ण सशक्त प्रस्तुति
bahut khub
जीवन की क्षणभंगुरता को खूबसूरती से उकेरा है आपने
bhaavpur abhivaykti...
बहुत ही मार्मिक रचना....
बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप ...इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई के साथ शुभकामनाएं ...।
बेहद प्रभावी अभिव्यक्ति ...... आभार !
nice kavita me bhav hai
सरक-सरक के निसरती, निसर निसोत निवात |
चर्चा-मंच पे आ जमी, पिछली बीती रात ||
http://charchamanch.blogspot.com/
हजारों काम हैं करने पर किसको करूं पहले ?
मुझे ऐ काश कोई मौत का दिन ही बता देता ।
बहुत सुंदर ....प्रभावित करती रचना ....
बहुत अच्छा लिखते हैं आप ...इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई के साथ साथ ढेर सारी शुभकामनाएं.....
वेदनापूर्ण अभिव्यक्ति
Bahut khoob...
ek dam se dukhati rag par apne hath rakh diya.
Likhate rahiye..!
Abhar
ये दर्द ना होता इस मासूम शहर में
ग़र काफ़िरों को वो अपना ईमां नहीं देता ।
..kash ye kafir samjh sakte..
bahut hi sundar nek bhawanapurn prastuti ke liye aabhar!
jine ki tamanna hai to marne ka hunar seekho...
maut bhi lazmi hai bahut zindagi ke liye......
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