बङा अजीब System है life का भी। कुछ भी मिल जाये,फिर भी एक कमी सी महसूस होती रहती है,एक खलिश सी बनी रहती है ।और ये खलिश भी क्या कमाल,जिसका ना कोई इलाज,ना कोई अन्त ।बस एक एहसास होता रहता है जिन्दा होने का ।और इसी एहसास में उम्र गुजर जाती है.......
ज़िंदगी तुझसे शिकायत भी है,और है गिला,
बहुत कुछ दिया तूने,बस कुछ भी न मिला
कुछ को मिल गया बेवक़्त गुलाबों का शहर,
मुझे चुभते हुए काटों का चेहरा भी न मिला
एक उम्मीद थी सो जल गया तेरी शम्मे में,
पर आँधियों को तब तक मेरा खत भी न मिला
किसने कहा इन्सां में खुदा बसता है,
बहुत ढूंढा मगर मुझको पत्थर भी न मिला
फकत ईटों के बने हैं इस शहर के मकां सारे,
क्यूँ आज तक मुझे मेरा घर भी न मिला ?
सच बोलकर सबको,दुश्मन बना लिया,
इस रूह को अब तक कोई खंजर भी न मिला
अपनी जात में अब तक,मैं खुद से बाकिफ था मगर,
मिला हर जगह आईना,क्यूँ पत्थर भी न मिला ??
ज़िंदगी तुझसे शिकायत भी है,और है गिला,
बहुत कुछ दिया तूने,बस कुछ भी न मिला
कुछ को मिल गया बेवक़्त गुलाबों का शहर,
मुझे चुभते हुए काटों का चेहरा भी न मिला
एक उम्मीद थी सो जल गया तेरी शम्मे में,
पर आँधियों को तब तक मेरा खत भी न मिला
किसने कहा इन्सां में खुदा बसता है,
बहुत ढूंढा मगर मुझको पत्थर भी न मिला
फकत ईटों के बने हैं इस शहर के मकां सारे,
क्यूँ आज तक मुझे मेरा घर भी न मिला ?
सच बोलकर सबको,दुश्मन बना लिया,
इस रूह को अब तक कोई खंजर भी न मिला
अपनी जात में अब तक,मैं खुद से बाकिफ था मगर,
मिला हर जगह आईना,क्यूँ पत्थर भी न मिला ??
-kumar
12 comments:
वाह वाह बहुत खूब ....
Arvind ji,
apki lekhani me dam hi....!
Har sher bahut kuchh kahte hain...!
Ek prarthna karna chahunga....
Asha hi ap bura nahi manegnge.....!
Jo har sher ki dusari line me apne
likha hai use kar dijiye prwah me badha nahi hogi...!
Waise ye mere vichar hain.....ap swyam nirday le.
Abhar
bahut sundar prastuti badhai.
rekhaji, ravi ji,shalini ji aap sabhi ka bahut bahut shukriya....
क्या बात है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
बहुत भावमयी रचना ....आपका आभार मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए ....!
प्रस्तुतिकरण प्रभावी लगा ...... शुभकामनायें !
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
badsuraton ki mahfil mein kal raat uska khoon ho gaya....
vo shaks shahar bhar ke aaine saaf kiya karta tha.....
khubsurat
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