Tuesday 1 November 2011

असर



अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?

अजनबी थे तो दोनों तरफ जिंदगी थी,
अब वो हर बात अपने ढंग से बताने लगा है

कभी ये शर्त थी कि मुझे मेरे नाम से बुलाना,
अब वो सब नाम मुझे खुद से बताने लगा है

कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है

ये किस तरह का मर्ज़ पाल बैठे हो "कशिश"
अब वो हर दुआ बेअसर बताने लगा है

-kumar

19 comments:

SANDEEP PANWAR said...

रचना अच्छी लिखी है।

Rashmi Garg said...

nyc feelings....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर!
छठपूजा की शुभकामनाएँ!

Palak Jethwani said...

kumar sir....
ye to ASAR hai apke us ishq ka..
jo uski rago me lahu bnke smaane laga hai

संध्या शर्मा said...

अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?
वाह क्या खूब कहा है...

vandana gupta said...

्वाह वाह बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।

रश्मि प्रभा... said...

कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है
waah

सदा said...

वाह ...बहुत खूब लिखा है ।

Sunil Kumar said...

चाहता है या फिर सताने लगा है ?
असमंजस्य की स्थिति .......

SAJAN.AAWARA said...

अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?

अजनबी थे तो दोनों तरफ जिंदगी थी,
अब वो हर बात अपने ढंग से बताने लगा है
bewfayi ki suruwat yahin se hoti hai..
lajwab parstuti.

jai hind jai bharat

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुंदर ... बहुत प्रभावित करती हुई प्रस्तुति ।

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

chandra said...

HEHHEEE, lagta hai pyaaar la swad chak hi lia aapne

Yashwant Mehta "Yash" said...

वाह.....कविता लाजवाब हैं....ऐसे भाव प्यार से गुजर कर ही निकलते हैं

Kailash Sharma said...

बहुत खूब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण...

हरकीरत ' हीर' said...

अब इश्क किया है तो सब्र भी कर इसमें यही कुछ होता है ......

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कुमार जी,..आपने बहुत ही खूबसूरत रचना लिखी,
इसी तरह लिखते रहे,मेरी शुभकामनाये ..बधाई ..
मेरे नए पोस्ट-वजूद- में स्वागत है ...

Anupama Tripathi said...

कटु सत्य कहती हुई रचना ...
बहुत अच्छी लगी.

अनुपमा पाठक said...

सुंदर एहसास!

मेरा मन पंछी सा said...

कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है
सुंदर अहसास, गहरे भाव ओर बेहतरीन रचना..

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द