अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?
अजनबी थे तो दोनों तरफ जिंदगी थी,
अब वो हर बात अपने ढंग से बताने लगा है
कभी ये शर्त थी कि मुझे मेरे नाम से बुलाना,
अब वो सब नाम मुझे खुद से बताने लगा है
कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है
ये किस तरह का मर्ज़ पाल बैठे हो "कशिश"
अब वो हर दुआ बेअसर बताने लगा है
-kumar
19 comments:
रचना अच्छी लिखी है।
nyc feelings....
बहुत सुन्दर!
छठपूजा की शुभकामनाएँ!
kumar sir....
ye to ASAR hai apke us ishq ka..
jo uski rago me lahu bnke smaane laga hai
अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?
वाह क्या खूब कहा है...
्वाह वाह बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।
कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है
waah
वाह ...बहुत खूब लिखा है ।
चाहता है या फिर सताने लगा है ?
असमंजस्य की स्थिति .......
अब वो मुझमें कमियाँ बताने लगा है,
चाहता है या फिर सताने लगा है ?
अजनबी थे तो दोनों तरफ जिंदगी थी,
अब वो हर बात अपने ढंग से बताने लगा है
bewfayi ki suruwat yahin se hoti hai..
lajwab parstuti.
jai hind jai bharat
बहुत ही सुंदर ... बहुत प्रभावित करती हुई प्रस्तुति ।
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
HEHHEEE, lagta hai pyaaar la swad chak hi lia aapne
वाह.....कविता लाजवाब हैं....ऐसे भाव प्यार से गुजर कर ही निकलते हैं
बहुत खूब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण...
अब इश्क किया है तो सब्र भी कर इसमें यही कुछ होता है ......
कुमार जी,..आपने बहुत ही खूबसूरत रचना लिखी,
इसी तरह लिखते रहे,मेरी शुभकामनाये ..बधाई ..
मेरे नए पोस्ट-वजूद- में स्वागत है ...
कटु सत्य कहती हुई रचना ...
बहुत अच्छी लगी.
सुंदर एहसास!
कुछ रोज तक खुदा सी इज्ज़त देता था मुझे,
अब वो प्यार से,मुझे पागल बताने लगा है
सुंदर अहसास, गहरे भाव ओर बेहतरीन रचना..
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