Monday, 4 July 2011
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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें - अरविन्द
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कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए तू सदियो...
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तेरे बारे में सबको बताऊँगा कैसे ? ज़ख्म दिल में बसे हैं,दिखाऊँगा कैसे ? तू बेवफा तो नहीं था जो वादे से मुकर गया, मगर ये सच ज़...
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सच को शिकायत है , कोई इधर नही आता , मंहगाई इतनी है , सस्ता ज़हर नही आता मैने जब भी कुछ मांगा , ख़ुदा ने झूठ...
5 comments:
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
ye yade to bas yade hi hain bandhu,,
laajawab.....
क्षणिका मन को तर कर गई...लाजवाब ..
बहुत मीठी मीठी ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती
आके कुछ ग़मों की नाम्कीनियाँ दे दो
b'ful
vry b'ful
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