Saturday 16 February 2013

देखना है तो...



मेरी 50 वीं पोस्ट मेरे ब्लॉग पर...

देखना है तो फिर खुलकर तमाशा देखिये
जो नहीं मुझ पर यकीं तो आज़मा कर देखिये
गाँव से अच्छी लगी दिल्ली मगर बस चार दिन,
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
कोई भी अखबार लो ख़बरें वही सब एक सी ,
मार दी एक और बहू ज़िन्दा जलाकर देखिये
शर्म से, फाँसी लगाकर मर गयी इंसानियत,
वहशियों का हौसला बढ़ता यहाँ फिर देखिये
इश्क हमने भी किया था, जान पर बन आयी थी,
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये
-कुमार

8 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत सटीक लिखे हैं आप

सादर

रविकर said...

आक्रोश -
शुभकामनायें आदरणीय ||

हरकीरत ' हीर' said...

इश्क हमने भी किया था, जान पर बन आयी थी,
हो जरा भी हौसला, तब दिल लगाकर देखिये


ha ...ha ...ha ....

bahut khoob ....!!

Shalini kaushik said...

गाँव से अच्छी लगी दिल्ली मगर बस चार दिन,
आइये इस शहर में कुछ दिन बिताकर देखिये
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .एक एक बात सही कही है आपने नारी खड़ी बाज़ार में -बेच रही है देह ! संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सार्थक पंक्तियाँ ....शुभकामनायें

Chaitanyaa Sharma said...

50वीं पोस्ट की बधाई

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह बहुत खूब

हर अहसास से गुज़रे हो ...फिर लिखी है ये पोस्ट :)

Unknown said...

बहुत ही बढ़िया पंक्ति......
आप भी पधारो आपका स्वागत है .....मेरा पता है ......pankajkrsah.blogspot.com

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द