Monday, 24 December 2012

अब उठो



अब उठो पथिक संहार करो
जो आगे आये वार करो 
आँखों में भर लो अंगारे 
और हुँकारों से बात करो 

ये वक़्त नहीं चुप रहने का 
ये वक़्त नहीं सब सहने का 
जो सत्तारस में डूबे हैं 
उनकी गर्दन पे धार धरो 
अब उठो पथिक संहार करो...

बहरों को शोर सुनाई दे 
चहुँ ओर ये आग दिखाई दे 
जो मासूमों का दमन करे 
उस बल को तार तार करो 
अब उठो पथिक संहार करो...

- kumar

12 comments:

सदा said...

बिल्‍कुल सही ...
दर्द की चीख
निकलती है जब
घुटती साँसे
...

Anupama Tripathi said...

सार्थक आह्वान ...

दिगम्बर नासवा said...

हुंकार करती ... ओज़स्वी रचना ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सार्थक आह्वान करती बेहतरीन रचना,,,.

recent post : समाधान समस्याओं का,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक आह्वान ....

Kailash Sharma said...

बहुत सशक्त ललकार...

संध्या शर्मा said...

सशक्त हुंकार ... सार्थक रचना... शुभकामनायें

Unknown said...

umda rachna ...
http://ehsaasmere.blogspot.in/

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत सही

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब वाह!

आप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!

Anonymous said...

सशक्त रचना

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




अब उठो पथिक संहार करो
जो आगे आये वार करो
आँखों में भर लो अंगारे
और हुँकारों से बात करो

ये वक़्त नहीं चुप रहने का
ये वक़्त नहीं सब सहने का
जो सत्तारस में डूबे हैं
उनकी गर्दन पे धार धरो
अब उठो पथिक संहार करो...

बहरों को शोर सुनाई दे
चहुँ ओर ये आग दिखाई दे
जो मासूमों का दमन करे
उस बल को तार तार करो
अब उठो पथिक संहार करो...

बहुत सुंदर !
बंधुवर कुमार जी
ओज-तेज भरी इस सुंदर , सशक्त , सार्थक रचना के लिए हृदय से बधाई !
आपकी लेखनी से सदैव समाज को दिशा दिखाने वाला सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो …

नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द