अब उठो पथिक संहार करो
जो आगे आये वार करो
आँखों में भर लो अंगारे
और हुँकारों से बात करो
ये वक़्त नहीं चुप रहने का
ये वक़्त नहीं सब सहने का
जो सत्तारस में डूबे हैं
उनकी गर्दन पे धार धरो
अब उठो पथिक संहार करो...
बहरों को शोर सुनाई दे
चहुँ ओर ये आग दिखाई दे
जो मासूमों का दमन करे
उस बल को तार तार करो
अब उठो पथिक संहार करो...
- kumar
12 comments:
बिल्कुल सही ...
दर्द की चीख
निकलती है जब
घुटती साँसे
...
सार्थक आह्वान ...
हुंकार करती ... ओज़स्वी रचना ....
सार्थक आह्वान करती बेहतरीन रचना,,,.
recent post : समाधान समस्याओं का,
सार्थक आह्वान ....
बहुत सशक्त ललकार...
सशक्त हुंकार ... सार्थक रचना... शुभकामनायें
umda rachna ...
http://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत सही
बहुत ख़ूब वाह!
आप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
सशक्त रचना
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
अब उठो पथिक संहार करो
जो आगे आये वार करो
आँखों में भर लो अंगारे
और हुँकारों से बात करो
ये वक़्त नहीं चुप रहने का
ये वक़्त नहीं सब सहने का
जो सत्तारस में डूबे हैं
उनकी गर्दन पे धार धरो
अब उठो पथिक संहार करो...
बहरों को शोर सुनाई दे
चहुँ ओर ये आग दिखाई दे
जो मासूमों का दमन करे
उस बल को तार तार करो
अब उठो पथिक संहार करो...
बहुत सुंदर !
बंधुवर कुमार जी
ओज-तेज भरी इस सुंदर , सशक्त , सार्थक रचना के लिए हृदय से बधाई !
आपकी लेखनी से सदैव समाज को दिशा दिखाने वाला सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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