Thursday 10 January 2013

शोर...



क्या वक़्त है...!!
हर शख्स बदलाव चाहता है...
बगावत से या अहिंसा से,
शब्दों से या बातों से
मगर चाहते सब हैं...
कोई चाहता है सत्ता बदलना...
कब कॉंग्रेस जाये और बी० जे० पी० आये...
किसी को चिढ़ है बिहारी से,बंगाली से,
कोई धर्म की पताका फहरा रहा है....
कि हिन्दू सलामत रहें,मुस्लिम मिट जाएँ...
कहीं भाषा की लड़ाई है,
कि हिन्दी पिछड़ रही है...
कहीं जाति का रोना है....
मैं ठाकुर,तू चमार
कोई आसाराम का पुजारी है तो रविशंकर का दुश्मन....
कोई मंदिर चाहता है,मस्जिद तोड़कर....
कोई औरत को आँखों से उघाड़ रहा है,
कोई ढाँकने की दुहाई दे रहा है...
हाँ माना,
कि हम हर पल,हर बात पर बंटे हुए है....
पर हमारे यहाँ,
"अनेकता में एकता" का ढोंग जो हैं..
सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के...

-कुमार 

12 comments:

सदा said...

सिवाय मानसिकता के...
बिल्‍कुल सही

vandana gupta said...

सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत की हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के

कटु सत्य कह दिया और आज इसी को तो बदलने की जरूरत है।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत सही कहा आपने।


सादर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सार्थक अभिव्यक्ति!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

खरी खरी

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कटुसत्य खरी खरी,,,शिर्फ़ आज इसी मानसिकता की बदलने की जरूरत है।

recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

संध्या शर्मा said...

बिलकुल सही कहा है आपने...सटीक अभिव्यक्ति

Anju (Anu) Chaudhary said...

सही कहा ...अब मानसिकता ही बदल चुकी है ...हर तरफ और हर तरह से
वो पहली वाली बाते और दिन ना जाने कब लौट के आएँगे

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (12-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

Kailash Sharma said...

सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के...

....बहुत सटीक अभिव्यक्ति...

रश्मि प्रभा... said...

http://www.parikalpnaa.com/2013/01/blog-post_15.html

संजय भास्‍कर said...

सटीक चित्रण

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द