क्या वक़्त है...!!
हर शख्स बदलाव चाहता है...
बगावत से या अहिंसा से,
शब्दों से या बातों से
मगर चाहते सब हैं...
कोई चाहता है सत्ता बदलना...
कब कॉंग्रेस जाये और बी० जे० पी० आये...
किसी को चिढ़ है बिहारी से,बंगाली से,
कोई धर्म की पताका फहरा रहा है....
कि हिन्दू सलामत रहें,मुस्लिम मिट जाएँ...
कहीं भाषा की लड़ाई है,
कि हिन्दी पिछड़ रही है...
कहीं जाति का रोना है....
मैं ठाकुर,तू चमार
कोई आसाराम का पुजारी है तो रविशंकर का दुश्मन....
कोई मंदिर चाहता है,मस्जिद तोड़कर....
कोई औरत को आँखों से उघाड़ रहा है,
कोई ढाँकने की दुहाई दे रहा है...
हाँ माना,
कि हम हर पल,हर बात पर बंटे हुए है....
पर हमारे यहाँ,
"अनेकता में एकता" का ढोंग जो हैं..
सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के...
-कुमार
12 comments:
सिवाय मानसिकता के...
बिल्कुल सही
सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत की हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के
कटु सत्य कह दिया और आज इसी को तो बदलने की जरूरत है।
बहुत सही कहा आपने।
सादर
सार्थक अभिव्यक्ति!
खरी खरी
कटुसत्य खरी खरी,,,शिर्फ़ आज इसी मानसिकता की बदलने की जरूरत है।
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बिलकुल सही कहा है आपने...सटीक अभिव्यक्ति
सही कहा ...अब मानसिकता ही बदल चुकी है ...हर तरफ और हर तरह से
वो पहली वाली बाते और दिन ना जाने कब लौट के आएँगे
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (12-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
सो हम सब बदलाव चाहते हैं...
अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से,
हर चीज में...
सिवाय मानसिकता के...
....बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
http://www.parikalpnaa.com/2013/01/blog-post_15.html
सटीक चित्रण
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