Wednesday, 1 August 2012

हाइकू......



(१)
कूड़े का  ढेर
ढूंढ़ता बचपन
मासूम बच्चा

(२)
तुम  और  मैं
बगावती   दुनियाँ 
लड़ेंगे  कैसे  ?

(३) 
चार  दीवारी 
उम्र  भर  की  कैद 
बेबस  खुदा

(४)
सब  पराये 
तुमसा  नही  कोई 
मेरा  अपना 

(५)
दंगे  फ़साद 
हर  सुबह  ऐसी 
बीरानी  रात

- kumar 

9 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

दंगे फ़साद
हर सुबह ऐसी
बीरानी रात,,,

वाह,,,,बहुत बेहतरीन हाइकू,,,,,कुमार जी
रक्षाबँधन की हार्दिक बधाई,शुभकामनाए,,,

RECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,

मेरा मन पंछी सा said...

वाह|||||
सभी उत्कृष्ट और बेहतरीन हाइकु :-)

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर....
थोड़े से शब्दों में बहुत सारी बात....

अनु

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर हाइकु

सदा said...

गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ...

Unknown said...

सुंदर हाइकु

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
श्रावणी पर्व और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Nidhi said...

सब पराये
तुमसा नही कोई
मेरा अपना ...सुन्दर हाइकु .

निवेदिता श्रीवास्तव said...

गागर में सागर भरना सा लगा .......

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द