Friday, 13 January 2012

मेरा चाहने वाला....




अपनी  पलकों  से  मेरे  खाब सजाने  वाला,
गया  इक  रोज  मुझे  छोड़,मेरा  चाहने  वाला

तकती  आँखों  की  फिर  आज  तमन्ना  है  वही,
हँसे  फिर  आज  मुझ पर,मेरा  चाहने  वाला

वो  नाज़िर  था  मेरा,संगदिल  नहीं  यारों,
खून  ए  जिगर  को  लोटेगा,मेरा  चाहने  वाला

काश  जाते  हुये  वो  हुनर  भी  दे  जाता  मुझको,
जैसे  भूला  है  मुझको, मेरा  चाहने  वाला

हम  तो  पत्थर  हैं,रोयेंगे  तो  क्या  रोयेंगे, ?
बस  कोई  पत्थर  ना  फिर पाये,मेरा  चाहने  वाला

-kumar

25 comments:

Dr.NISHA MAHARANA said...

very nice.

Kailash Sharma said...

काश जाते हुये वो हुनर भी दे जाता मुझको,
जैसे भूला है मुझको, मेरा चाहने वाला

....बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति..

vidya said...

bahut khoob..........

Rashmi Garg said...

touchy...

संध्या शर्मा said...

काश जाते हुये वो हुनर भी दे जाता मुझको,
जैसे भूला है मुझको, मेरा चाहने वाला

लाज़वाब...

मेरा मन पंछी सा said...

बहूत सुंदर जजबात , सुंदर रचना...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर लिखा है आपने

Maheshwari kaneri said...

सुंदर अभिव्यक्ति , सुंदर रचना...मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Unknown said...

सुंदर अभिव्यक्ति

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

Yashwant R. B. Mathur said...

हम तो पत्थर हैं,रोयेंगे तो क्या रोयेंगे, ?
बस कोई पत्थर ना फिर पाये,मेरा चाहने वाला

ज़बरदस्त लिखा है बॉस।


सादर

रेखा said...

अच्छा लिखा है ....बेहतरीन अभिव्यक्ति

Nirantar said...

म तो पत्थर हैं,रोयेंगे तो क्या रोयेंगे, ?
बस कोई पत्थर ना फिर पाये,मेरा चाहने वाला
chahne waalon ko aisaa chaahne waalaa mil jaaye bas....

shephali said...

bahut khubsoorat post

केवल राम said...

हम तो पत्थर हैं, रोयेंगे तो क्या रोयेंगे, ?
बस कोई पत्थर ना फिर पाये,मेरा चाहने वाला

आपकी रचनात्मकता से बाकिफ होना और आपकी शैली को पढना एक रोचक और सिखाने वाला अनुभव रहा .....आपको अनेक शुभकामनाएं सतत लेखन के लिए

सदा said...

हम तो पत्थर हैं,रोयेंगे तो क्या रोयेंगे, ?
बस कोई पत्थर ना फिर पाये,मेरा चाहने वाला
बहुत खूब ।

amit kumar srivastava said...

बहुत खूब

कुमार संतोष said...

Sunder ghazal. Sabhi sher ek se badhkar ek the.

Unknown said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत गज़ल

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।

Unknown said...

sundar bhavon se saji sundar rachna ....

मेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था

प्रेम सरोवर said...

आपका यह पोस्ट अच्छा लगा । मरे नए पोस्ट " डॉ. धर्मवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

ANULATA RAJ NAIR said...

काश जाते हुये वो हुनर भी दे जाता मुझको,
जैसे भूला है मुझको, मेरा चाहने वाला
वाह...
बहुत बहुत खूबसूरत...........

अनु

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द