आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता,
गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता
किस तरह समेटा है तूफां ने समन्दर को,
कश्ती को डूबता मुसाफिर नहीं मिलता
वो नादाँ है,इंसां पे ऐतवार करता है,
वक़्त पड़ जाये तो,ख़ुदा भी नहीं मिलता
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलतामाँ,तू सच कहती थी,नादान को प्यार मत करना,
दिल टूटेगा तो फिर कोई नादान नहीं मिलता
-kumar
19 comments:
bahut achhe bhaav
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलता
बहुत बढ़िया ...गहरी बात कही ....
प्रभावी प्रस्तुति ||
बधाई भाई ||
सुंदर शब्दों के साथ सुंदर अभिव्यक्ति...
एक खलिश उठती है,तेरी हर बात से,दिल में,
मेरी चाहतों को दर्द का आलम नहीं मिलता
बहुत ही बढ़िया ।
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलता
बहुत खूब लिखा है आपने ।
बेहद खुबसूरत ..
sunder....
वो नादाँ है,इंसां पे ऐतवार करता है,
वक़्त पड़ जाये तो,ख़ुदा भी नहीं मिलता
सुन्दर, बहुत बढियां..
आभार !
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलता
सटीक अभिव्यक्ति...आभार
बहुत सुंदर बेहतरीन प्रस्तुति,..बधाई
मेरी नई पोस्ट केलिए काव्यान्जलि मे click करे
सुन्दर रचना....
सादर बधाई...
bahut khub
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
"वो नादाँ है,इंसां पे ऐतवार करता है,
वक़्त पड़ जाये तो,ख़ुदा भी नहीं मिलता"
शब्दों की मधुर संयोजन......सुन्दर रचना.....
आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता,
गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता
सभी शेर बहुत अच्छे हैं, बधाई
आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता,
गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता
....बहुत खूब! सभी शेर बहुत उम्दा...
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलता ..
बहुत खूब ... सच कडुवा सच लिखा है इस शेर में अपने कुमार जी ...
बहूत गहरे जज्बातो से लिखी बेहतरीन रचना है....
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