सोचा था कुछ और मंजिल कुछ और हो गई,
जिस महफ़िल में हम गये,वही रुस्बा हो गई
राह ए मोहब्बत्त में,हमने निभाई हर सदा,
उनके लिए हर सदा,बस इक अदा हो गई
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
उनके हर इक सितम को चुपचाप हमने सह लिया,
लेकिन हम पर सितम करना उनकी आदत हो गई
अपने लहू के रंग से लिखे थे कुछ यादों के गीत,
उन्होंने कर दी दुआ,और बरसात हो गई
-kumar
25 comments:
मुहब्बत में ऐसा ही होता है :) अच्छे शेर मुबारक हो .....
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
वाह...एक से बढ़कर एक हर शेर बहुत खुबसूरत ... ...क्या प्रशंसा करूँ..
हर शे‘र में आपका निराला अंदाज झलक रहा है।
वाह ...बहुत खूब ..बेहतरीन प्रस्तुति।
उनके हर इक सितम को चुपचाप हमने सह लिया,
लेकिन हम पर सितम करना उनकी आदत हो गई
बहुत खूब दोस्त!
bahut khub.......
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
....बहुत खूब! बेहतरीन अभिव्यक्ति..
बहुत उत्तम सृजन!
अपने लहू के रंग से लिखे थे कुछ यादों के गीत,
उन्होंने कर दी दुआ,और बरसात हो गई
वाह ...बहुत खूब
उनके हर इक सितम को चुपचाप हमने सह लिया,
लेकिन हम पर सितम करना उनकी आदत हो गई..बहुत खूब.
बहुत सुंदर मन के भाव...... अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं .....
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
अच्छी पंक्तियाँ
बहुत खुबसूरत...सुंदर भाव...
good 1...
बहुत खूब!
उनके हर इक सितम को चुपचाप हमने सह लिया,
लेकिन हम पर सितम करना उनकी आदत हो गई ...
ये तो हसीनों की आदत है .. सितम करना ... बहुत लाजवाब शेर है ...
एक शाम मैंने आज भी तेरे नाम रखी थी
आज एहसास हुआ वो कब की गुज़र गयी
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
उनके हर इक सितम को चुपचाप हमने सह लिया,
लेकिन हम पर सितम करना उनकी आदत हो गई
अपने लहू के रंग से लिखे थे कुछ यादों के गीत,
उन्होंने कर दी दुआ,और बरसात हो गई
Kya baat hai! Kya kamal kee panktiyan hain!
अपने लहू के रंग से लिखे थे कुछ यादों के गीत,
उन्होंने कर दी दुआ,और बरसात हो गई
dard bharee gazal
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद। ।
या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
कीजिये जब भी सौदा खरा कीजिये............
गहरे अहसास लिये सुंदर रचना है...
Umda shayri...
उम्र भर जिस हमसफ़र को कहते रहे हम शुक्रिया,
गौर से देखा तो साथ परछाई ही रह गई
अक्सर मुहब्बत में ऐसा ही होता है,पर कई बार अपना साया भी साथ छोड़ देता है
भावमय करते शब्दों का संगम.....
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