आज मैने अपनी एक प्यारी सी दोस्त की कुछ ऐसी बातें यहाँ लिखने की कोशिश की है जिन्होंने हर बार मुझे कुछ सोचने पर मजबूर किया है मेरी इस दोस्त को “albinism” है पर ना तो उसे खुद से कोई शिकायत है ना खुदा से.....शिकायत है तो बस....वक़्त से......
एक सीधी सादी लड़की जो खुद में सिमटी रहती है,
बातें उसकी रेशम सी, पर हरदम उलझी रहती है
यूँ तो बहुत बहादुर है पर डरती है उन लोगों से,
जो उसको समझ नहीं पाते वो चिढती है उन लोगों से
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
कभी कभी वो कहती है कि मन नहीं करता जीने को ,
हंसती नज़रें कुछ कहती है तब मन नहीं करता जीने को
वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं
वो कहती है मुझको यूँ ही बोझिल होकर नहीं जीना है ,
बस तन्हा तन्हा रहकर अपने अश्कों को पीना है
उसकी इन सब बातों के मेरे पास जवाब नहीं होते ,
ऐ काश खुदा ! इस दुनियां में सब लोग उसी जैसे होते .....
- kumar
32 comments:
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
....लाज़वाब ! हर पंक्ति दिल को छू जाती है...बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं... शायद मैं उसकी उकताहट दूर कर सकूँ , मिलना चाहूँगी उस लड़की से , जिसका चेहरा आपके शब्दों में उभर कर आया है ....
बाला बड़ी बहादुर है, बस बही भावना में थोड़ी |
बालक बरताव बनाए रख, बाला है सोणी-सोणी |
दुनिया बेशक अच्छी है, बस बदल नजरिया उसका तू-
कुछ सामंजस स्थापित कर, बदले वो थोड़ी -मोड़ी ||
जीवन भी संघर्ष एक, तू राह उसे दिखलाता जा --
सुगम रास्ता पाएगी, पर मिलेंगे कुछ रोड़ा -रोड़ी ||
दूजे का व्यवहार क्रूर, उसकी चिंता से होगा क्या --
बस दूर रहे, खुशहाल रहे, क्यूँ करती सर फोड़ा-फोड़ी ||
काश.......!!
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
बहुत मुश्किल सवाल कर दिया आपसे :) अच्छी रचना बधाई
touching hai.......
खूबसूरत शब्द है।
सुन्दर...वाह!
वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं
बहुत सुंदर ...प्रभावित करती पंक्तियाँ
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट.....शुभकामनायें।
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
shabbash
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं...कितनी बड़ी बात कह दी...कहाँ हैं ऐसे लोग ,सच???????
वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं
हर पंक्ति एक सवाल ... जिसका जवाब देना सच में मुश्किल हो जाता है ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
वाह ...बहुत खूब
अति सुन्दर
वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं bahut sunder rachana, kumar....badhai
bahut hi sunder...
apni unki bhawnawo ko apne dil se mahsus kar ke ukera hi..!!
unke liye mere do shabd...!!
ap aise na ghabrae jindagi se... koi to hi jo apko samjhta hi.
एक सीधी सादी लड़की जो खुद में सिमटी रहती है,
बातें उसकी रेशम सी, पर हरदम उलझी रहती है
यूँ तो बहुत बहादुर है पर डरती है उन लोगों से,
जो उसको समझ नहीं पाते वो चिढती है उन लोगों से
bahut sundar...
May God bless your friend
nice work.. well presented
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
इंसानी कोमलता और ज़ज्बातों को कुरेदती रचना .बहुत सार्थक सुन्दर संदेशपरक .
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
bahut khoob
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
-(((
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
sundar bhaaw
"जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं"
ऐसे लोगों की तलाश तो सभी को जीवन भर रहती है. बहुत खूब.
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
बहुत सशक्त प्रस्तुति......
kya khub kaha
aisi hi kuch aur kavitaye padhne k liye Mere Shabd pe aaye......
jeena asaan nhi is duniya me
aur marna bhi kitna mushkil hai
jo maut ko bhi jeena sikha de
wo log kaha milte hai??
wo log kaha milte hai??
वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं गहरे भावो को व्यक्त करती सुन्दर अभिव्यक्ती
Bahut hee sundar kavita
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