Sunday 18 September 2011

काश यूँ होता....


आज  मैने अपनी  एक  प्यारी  सी  दोस्त  की  कुछ  ऐसी बातें  यहाँ  लिखने  की  कोशिश  की  है  जिन्होंने  हर  बार  मुझे  कुछ  सोचने  पर  मजबूर  किया  है मेरी  इस  दोस्त  को  “albinism” है  पर  ना  तो उसे  खुद  से  कोई  शिकायत है  ना  खुदा  से.....शिकायत  है  तो  बस....वक़्त  से......


एक  सीधी  सादी  लड़की  जो  खुद  में  सिमटी  रहती  है,
बातें   उसकी  रेशम  सी, पर  हरदम उलझी  रहती  है

यूँ  तो  बहुत  बहादुर  है  पर  डरती  है  उन  लोगों  से,
जो  उसको  समझ  नहीं  पाते  वो  चिढती  है  उन  लोगों  से

वो  मुझसे  पूछा  करती  है ,वो  लोग  कहाँ  पर  मिलते  हैं  ?
जो  इन्सानी  ज़ज्बातों  को  बिन  चेहरा  देखे  पढ़ते  हैं

कभी  कभी  वो  कहती  है  कि  मन  नहीं  करता  जीने  को ,
हंसती  नज़रें  कुछ  कहती  है  तब  मन  नहीं  करता  जीने  को

वो  अक्सर  पूछा  करती  है ,क्या  रिश्ते  बोझिल  होते  हैं  ?
क्यूँ  चेहरे  रोज  बदलते  हैं  और  दिल  बेवस  हो  रोते  हैं 

वो  कहती  है  मुझको  यूँ  ही  बोझिल  होकर  नहीं  जीना  है ,
बस  तन्हा तन्हा  रहकर  अपने  अश्कों  को  पीना  है 

उसकी  इन  सब  बातों  के  मेरे  पास  जवाब  नहीं  होते ,
  काश  खुदा  ! इस  दुनियां  में  सब  लोग  उसी  जैसे  होते .....

- kumar

32 comments:

Kailash Sharma said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं

....लाज़वाब ! हर पंक्ति दिल को छू जाती है...बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

रश्मि प्रभा... said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं... शायद मैं उसकी उकताहट दूर कर सकूँ , मिलना चाहूँगी उस लड़की से , जिसका चेहरा आपके शब्दों में उभर कर आया है ....

रविकर said...

बाला बड़ी बहादुर है, बस बही भावना में थोड़ी |
बालक बरताव बनाए रख, बाला है सोणी-सोणी |

दुनिया बेशक अच्छी है, बस बदल नजरिया उसका तू-
कुछ सामंजस स्थापित कर, बदले वो थोड़ी -मोड़ी ||

जीवन भी संघर्ष एक, तू राह उसे दिखलाता जा --
सुगम रास्ता पाएगी, पर मिलेंगे कुछ रोड़ा -रोड़ी ||

दूजे का व्यवहार क्रूर, उसकी चिंता से होगा क्या --
बस दूर रहे, खुशहाल रहे, क्यूँ करती सर फोड़ा-फोड़ी ||

मीनाक्षी said...

काश.......!!

Sunil Kumar said...

जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
बहुत मुश्किल सवाल कर दिया आपसे :) अच्छी रचना बधाई

manjusha.deshpande said...

touching hai.......

SANDEEP PANWAR said...

खूबसूरत शब्द है।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

सुन्दर...वाह!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं

बहुत सुंदर ...प्रभावित करती पंक्तियाँ

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट.....शुभकामनायें।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

chandra said...

shabbash

Nidhi said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं...कितनी बड़ी बात कह दी...कहाँ हैं ऐसे लोग ,सच???????

सदा said...

वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं
हर पंक्ति एक सवाल ... जिसका जवाब देना सच में मुश्किल हो जाता है ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

रेखा said...

वाह ...बहुत खूब

shephali said...

अति सुन्दर

अंजू शर्मा said...

वो अक्सर पूछा करती है ,क्या रिश्ते बोझिल होते हैं ?
क्यूँ चेहरे रोज बदलते हैं और दिल बेवस हो रोते हैं bahut sunder rachana, kumar....badhai

Ravi Rajbhar said...

bahut hi sunder...
apni unki bhawnawo ko apne dil se mahsus kar ke ukera hi..!!

unke liye mere do shabd...!!
ap aise na ghabrae jindagi se... koi to hi jo apko samjhta hi.

Vandana Ramasingh said...

एक सीधी सादी लड़की जो खुद में सिमटी रहती है,
बातें उसकी रेशम सी, पर हरदम उलझी रहती है

यूँ तो बहुत बहादुर है पर डरती है उन लोगों से,
जो उसको समझ नहीं पाते वो चिढती है उन लोगों से

bahut sundar...

devanshukashyap said...

May God bless your friend

devanshukashyap said...

nice work.. well presented

virendra sharma said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
इंसानी कोमलता और ज़ज्बातों को कुरेदती रचना .बहुत सार्थक सुन्दर संदेशपरक .

Vineet Mishra said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?

bahut khoob

निवेदिता श्रीवास्तव said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं
-(((

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

अजय कुमार said...

sundar bhaaw

Bharat Bhushan said...

"जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं"

ऐसे लोगों की तलाश तो सभी को जीवन भर रहती है. बहुत खूब.

Dr Varsha Singh said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं

बहुत सशक्त प्रस्तुति......

shephali said...

kya khub kaha

aisi hi kuch aur kavitaye padhne k liye Mere Shabd pe aaye......

Palak Jethwani said...

jeena asaan nhi is duniya me
aur marna bhi kitna mushkil hai
jo maut ko bhi jeena sikha de
wo log kaha milte hai??
wo log kaha milte hai??

मेरा मन पंछी सा said...

वो मुझसे पूछा करती है ,वो लोग कहाँ पर मिलते हैं ?
जो इन्सानी ज़ज्बातों को बिन चेहरा देखे पढ़ते हैं गहरे भावो को व्यक्त करती सुन्दर अभिव्यक्ती

example said...

Bahut hee sundar kavita

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द