Friday, 3 June 2011

कुछ बातें...


  • सेक्स ईश्वर की प्रार्थना की तरह है,यह एक उम्मीद से शुरू होता है और एक संतुष्टि पर समाप्त ।
  • ईश्वर ऐसा फ़नकार है जो हर पल अद्वितीय रचना को जन्म देता है ।
  • मैं लोगौं से इसलिए प्रेम करता हूँ क्योंकि मैं प्रेम का भूखा हूँ ।
  • दुनियाँ में ऐसा कोई पैमाना नहीँ है जो ह्रदय में बसे प्रेम की गहराई नाप सके। 
  • भय को साथ रखकर बदलाव की उम्मीद करना व्यर्थ है। 
kumar...

4 comments:

tamanna said...

बहुत ख़ुब कहा....

tamanna said...

लेकिन सिर्फ इक बात और कहना चाहुंगी...अब तक किसी ने ईश्वर के अस्तित्व को साबित किया है...

Arvind kumar said...

aabit to use kiya jata hai jiske bajud ko khatra ho...kuchh baaton ko bas mahsus kiya jata hai khuda bhi unmen se ek hai
wo ek jajbaat hai,ek amrpan hai ek poitive thinking hai,prem hai
har wo chiz jo hamen romanchit kar de,jo prem se bhar dewo ishwar hi hai......
aakhir wo kisi mandir ya masjid tak hi nhn simat sakta.......

Rashmi Garg said...

magar afsos ki kai log ishwar ki rachna per bhi kintu parantu karte hain....

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द