Tuesday, 17 May 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें - अरविन्द
-
कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए तू सदियो...
-
तेरे बारे में सबको बताऊँगा कैसे ? ज़ख्म दिल में बसे हैं,दिखाऊँगा कैसे ? तू बेवफा तो नहीं था जो वादे से मुकर गया, मगर ये सच ज़...
-
सच को शिकायत है , कोई इधर नही आता , मंहगाई इतनी है , सस्ता ज़हर नही आता मैने जब भी कुछ मांगा , ख़ुदा ने झूठ...
6 comments:
बेहतरीन प्रस्तुति
कल 18/07/2012 को आपके ब्लॉग की प्रथम पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल''
बेहतरीन................
अनु
सुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
बहुत बढ़िया
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति:-)
माँ की छोटी सी खुशी के लिए
शायद डरता हूँ भविष्य से
कितना स्वार्थी हूँ मैं.....
बहुत सुन्दर चिंतन से भरी रचना ..
Post a Comment