Saturday 8 December 2012

अधूरी बातें...



(1)
कफ़न ओढ़े 
सड़क पर सोता 
भूखा पेट...

(2)
एक ज़िन्दगी में 
रोजाना होतीं 
हज़ारों मौतें...

(3)
तुम न आओ 
पेश मुझसे 
मेरे अपनों की तरह...

(4)
खंजर से 
अमन की बातें 
करते सफेदपोश...

(5)
हर रोज 
तनख्वा गिनता 
नौकरीपेशा...

- kumar 

10 comments:

Anonymous said...

बहुत खूब

मेरा मन पंछी सा said...

गहन भाव और विशेष अर्थ लिए
मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं...

Anupama Tripathi said...

सभी हाइकु भावप्रबल हैं ...
शुभकामनायें ...

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर क्षणिकाएँ...

अनु

Shalini kaushik said...

एक ज़िन्दगी में
रोजाना होतीं
हज़ारों मौतें...
.बहुत सुन्दर विचारणीय अभिव्यक्ति .बधाई
प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध [कानूनी ज्ञान ] और [कौशल ].शोध -माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता .पर देखें और अपने विचार प्रकट करें

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गहन क्षणिकाएं

Anju (Anu) Chaudhary said...

अर्थपूर्ण क्षणिकाएँ

Arvind kumar said...

ji maaf keejiyega ye haiku nahin hain

सदा said...

हर रोज
तनख्वा गिनता
नौकरीपेशा...
गहन भाव लिये सशक्‍त प्रस्‍तुति

संध्या शर्मा said...

अधूरी बात,
देती पूरा अर्थ...
गहन भाव भरी मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं...शुभकामनायें

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द