हजारों लोग तो देखे मगर इन्सां नहीं देखा,
कहीं मासूमियत में लिपटा बच्चा नहीं देखा
ये कौन लोग हैं तलवारें लिए हुये ?
मैने खून का प्यासा कोई मज़हब नहीं देखा
उसके गुलामों में,बदनाम थे बहुत,
हर पल यही कहना तुमसा नहीं देखा
कई बार खायी है विश्वास की ठोकर,
जिसपे भरोसा था संग नहीं देखा
कितने सवेरे हो गये जागते हुये ?
आँखों ने उसका कोई सपना नहीं देखा
- kumar
9 comments:
आज के सच को कहती बेहतरीन गज़ल
वाह - बहुत सुंदर
gahan abhivyakti ....shubhkamnayen .
बेहतरीन अभिव्यक्ति... शुभकामनायें
बहुत खूब .... आज कल तो न जाने क्या क्या देखने को मिल रहा है ॥जो हम देखना भी नहीं चाहते
हजारों लोग तो देखे मगर इन्सां नहीं देखा,
कहीं मासूमियत में लिपटा बच्चा नहीं देखा
...बहुत खूब! आज के यथार्थ का सटीक चित्रण..
वाह!!!!बहुत बेहतरीन गजल,,,सटीक चित्रंण,,
recent post: वजूद,
ये कौन लोग हैं तलवारें लिए हुये ?
मैने खून का प्यासा कोई मज़हब नहीं देखा
यथार्थ का सटीक चित्रण
दर्द ही दर्द
Post a Comment