Monday 3 December 2012

ज़िद...




चल देखते हैं अब तेरी अदा  क्या है ?
ये बन्दा  फिर बतायेगा  मेरी रज़ा  क्या है 

तू अपनी बात पर रहना,मैं अपनी जिद पे कायम हूँ,
ये मसला हल तभी होगा,वरना मज़ा क्या है ?

बहुत आये और आयेंगे मगर हमसा ना आयेगा ,
बेबस सी तेरी नज़रें ये सोचें माजरा क्या है ?

तेरी नाकामियों के किस्से हम सबको सुनायेंगे,
तुझ बेअदब की इससे और बेहतर सज़ा क्या है ?

- kumar 


6 comments:

विभूति" said...

गहन अभिवयक्ति......

रविकर said...

बहुत बढ़िया ।
बधाई ||

सदा said...

तू अपनी बात पर रहना,मैं अपनी जिद पे कायम हूँ,
ये मसला हल तभी होगा,वरना मज़ा क्या है ?

बहुत आये और आयेंगे मगर हमसा ना आयेगा ,
बेबस सी तेरी नज़रें ये सोचें माजरा क्या है ?
वाह ...बहुत ही बढिया

Anju (Anu) Chaudhary said...

bahut khub

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया


सादर

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह,,,बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,

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