Saturday, 11 August 2012
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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें - अरविन्द
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क्या मज़ाक चल रहा है परिंदों के बीच, आसमां को दौड़ का मैदान बना रखा है बड़ी हसरत थी उसे टूटकर बरसने की, मगर हौँसले ने उसे ...
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आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता, गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता किस तरह समेटा है तूफां ने समन्दर को, कश्ती को डूबता मुसाफि...
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कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए तू सदियो...
5 comments:
वजूद को तलाशने की कोशिश जारी रहे.
बहुत ही बेहतरीन हाइकु
सभी अपनी अलग कहानी बयां करती...
जिवंत और शानदार...
:-)
बेहतरीन,हाइकू सभी का अपना अलग२ रंग है,,,,बधाई कुमार जी ,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
धुंधले शब्द
गहराती तस्वीर
मेरी कहानी,
शब्द अगर साफ़ और सटीक हों जाए तो जिंदगी भी हसीन हों जाएगी .....
sab ek se ek kamaal hain!!
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