Saturday, 26 May 2012

कुछ मिले ना मिले...




कुछ मिले  ना मिले,उसके आंचल में छाँव मिले,
जन्नत मिली.जो मुझे माँ के पाँव मिले

बदल सा गया हूँ शहर में रहते रहते,
अब दोस्त मिले तो गाँव सा बफादार मिले

अजब हाल है कि वक़्त नही मरने को,
ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल  मिले

चलो एक बार फिर दिल पे पत्थर रख लें,
अदब से बोलें,गर वो मुस्कुरा के मिले

फ़र्ज़,ईमान,रूह,जमीर सब देखे बेचकर,
अब मिले तो कोई खुदा का खरीददार मिले

सच अच्छा है,मगर हर जगह बोला नहीं जाता,
ये वो तजुर्बे हैं जो हमें समाज से मिले

- कुमार 


13 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह..
चलो एक बार फिर दिल पे पत्थर रख लें,
अदब से बोलें,गर वो मुस्कुरा के मिले

बहुत खूब...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

सदा said...

सच अच्छा है,मगर हर जगह बोला नहीं जाता,
ये वो तजुर्बे हैं जो हमें समाज से मिले

बहुत सही ...

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब सर!

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर ,,बहुत सुन्दर रचना..

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह बहुत उम्दा

Nidhi said...

अजब हाल है कि वक़्त नही मरने को,
ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले.............सुन्दर!

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 08/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

***Punam*** said...

वाह.....

ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले.............!

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut khoob....

Arvind kumar said...

shukriya...

Suresh kumar said...

फ़र्ज़,ईमान,रूह,जमीर सब देखे बेचकर,
अब कोई मिले तो खुदा का खरीददार मिले....
Wah bahut sundar....

Noopur said...

First time i steeped in here....nice post

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द