कुछ मिले ना मिले,उसके आंचल में छाँव मिले,
जन्नत मिली.जो मुझे माँ के पाँव मिले
बदल सा गया हूँ शहर में रहते रहते,
अब दोस्त मिले तो गाँव सा बफादार मिले
अजब हाल है कि वक़्त नही मरने को,
ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले
चलो एक बार फिर दिल पे पत्थर रख लें,
अदब से बोलें,गर वो मुस्कुरा के मिले
फ़र्ज़,ईमान,रूह,जमीर सब देखे बेचकर,
अब मिले तो कोई खुदा का खरीददार मिले
सच अच्छा है,मगर हर जगह बोला नहीं जाता,
ये वो तजुर्बे हैं जो हमें समाज से मिले
- कुमार
13 comments:
वाह..
चलो एक बार फिर दिल पे पत्थर रख लें,
अदब से बोलें,गर वो मुस्कुरा के मिले
बहुत खूब...
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
सच अच्छा है,मगर हर जगह बोला नहीं जाता,
ये वो तजुर्बे हैं जो हमें समाज से मिले
बहुत सही ...
बहुत खूब सर!
सुन्दर ,,बहुत सुन्दर रचना..
वाह बहुत उम्दा
अजब हाल है कि वक़्त नही मरने को,
ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले.............सुन्दर!
कल 08/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह.....
ऐ ज़िन्दगी कभी तुझे भी मेरा ख़याल मिले.............!
bahut khoob....
shukriya...
फ़र्ज़,ईमान,रूह,जमीर सब देखे बेचकर,
अब कोई मिले तो खुदा का खरीददार मिले....
Wah bahut sundar....
First time i steeped in here....nice post
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