मेरे दिल - ए - जज़्बात मेरे प्यार ( अरविन्द कुमार जी ) के लिए
हर लम्हा इंतजार करता है तेरा
तू आये तो , वो ठहरे
तुझसे कुछ पूछने को बेचैन
हर पल ये घड़ियाँ रहती हैं
मेरी ऑंखें दरवाज़े पर लगी हैं ,
कि आयेगा तू इक दिन
हक से पूछेगा मुझसे
तू ठीक तो है ?
मैं नमी के साथ, झपका दूंगी आँखें
तू समा लेगा आगोश मैं मुझे
जाने वो पल कब आएगा ?
पर उम्मीद है ,
आएगा ज़रूर
- Mrs. Nirmal pathak
5 comments:
वाह ... बेहतरीन
बहुत लाजबाब अभिव्यक्ति ,,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए. सही है.
बहुत सुन्दर.....
प्यार भरी रचना...
अनु
खूबसूरत एहसास
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