Wednesday, 4 July 2012
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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें - अरविन्द
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कुछ पल तो हँसने दे मुझे,ना उदास कर तू घर जाने की बातें,ना बार बार कर दो लम्हे बीते होंगें,साथ बैठे हुए तू सदियो...
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क्या मज़ाक चल रहा है परिंदों के बीच, आसमां को दौड़ का मैदान बना रखा है बड़ी हसरत थी उसे टूटकर बरसने की, मगर हौँसले ने उसे ...
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आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता, गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता किस तरह समेटा है तूफां ने समन्दर को, कश्ती को डूबता मुसाफि...
 

8 comments:
वक़्त सी झुर्रियां
कहती कहानी
मेरे चेहरे पे...
....बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति...
वक़्त सी झुर्रियां
कहती कहानी
मेरे चेहरे पे.
बेहतरीन भाव.... सुंदर पंक्तियाँ
वक़्त सी झुर्रियां
कहती कहानी
मेरे चेहरे पे...
गहन भाव... सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर ...
नन्ही नन्ही सी रचनाएं...जाने क्या क्या कह गयीं....
अनु
कल 06/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
गहन भाव लिए बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
सभी अलग भाव , अलग रंग लिए...
लाजवाब...
:-)
खूबसूरत भाव ..
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