Wednesday, 28 December 2011
Thursday, 15 December 2011
बदलाव...
आजकल कोई हँसकर नहीं मिलता,
गले मिलकर भी कोई दिल नहीं मिलता
किस तरह समेटा है तूफां ने समन्दर को,
कश्ती को डूबता मुसाफिर नहीं मिलता
वो नादाँ है,इंसां पे ऐतवार करता है,
वक़्त पड़ जाये तो,ख़ुदा भी नहीं मिलता
आसमां को छू रहे हैं,पत्थरों के मकां,
बच्चों को अब खेलने, मैदां नहीं मिलतामाँ,तू सच कहती थी,नादान को प्यार मत करना,
दिल टूटेगा तो फिर कोई नादान नहीं मिलता
-kumar
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