मेरी परछाई को देखकर तू खफा हो गया
ऐ नादान सँभल,मुहब्बत की भी हद होती है
जाना है तो फिर क्यूँ पलटता है बार बार
ऐ नादान सँभल,मुङने की भी हद होती है
कुछ कहकर फिर से चमन में बहार ला दे
ऐ नादान सँभल,अदाऔं की भी हद होती है
मत सोच मेरी मैं तो सदियों से प्यासा हूँ
ऐ नादान सँभल,अश्क बहने की भी हद होती है
मेरे साथ कयामत तक ना चल पाया तो
ऐ नादान सँभल,कसम देने की भी हद होती है ।
kumar...
2 comments:
कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
bahut hi sundar bhavmayi rachana hai....
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