Saturday 14 July 2012

अधूरी बातें...




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भूखे बच्चे को
थपकियों से बहलाता,
सूखा  आँचल....

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लड़ रहा हूँ
अपनों में रहकर 
अपनों से...

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बढ़ जाती है
हर रिश्ते की बोली
बुरे वक़्त में...

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और पिलाओ मुझे
दिल खाली है
जाम नहीं...

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ये वक़्त
क्या आज भी वही है
जो तब था...

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मज़हबी लोग
करते बँटवारा
मासूम खुदा का...

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अधखुली आँखें
तेरा खयाल
अब क्या करूँ...?


- kumar 

Wednesday 4 July 2012

अधूरी बातें...




(१)
असर ए  इश्क को
अश्कों से धोता
सिरफिरा आशिक़....

(२)
वक़्त सी झुर्रियां
कहती कहानी
मेरे चेहरे पे...

(३)
टीस
बढ़ सी जाती है
तुझे मिलकर...

(४)
तुझे चाहूँ
या ना चाहूँ
बड़ी उलझन...

(५)
अरसे बाद
तेरा मिलना
ज़ख्म खिल उठे...

- kumar

जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द