Saturday 28 May 2011
Sunday 22 May 2011
अतीत
क्या करूँ कि तेरी याद ना आये मुझे कभी,
कितना हँसू कि जख्म ये ना रुलाये मुझे कभी ?कितनी आहटों में हर पल दिल मशगूल रहता है,
अब कोई ख़ामोशी ना सताए मुझे कभी
बुत बन गया खुदा,कितना खुशनसीब है ?
तू किसी जान का एहसास ना कराये मुझे कभी
वो मुझे अब भी चाहता है,मेरा ऐतबार करता है,
ये पहचानी सी बातें कोई ना सुनाये मुझे कभी
तेरा ज़िक्र ए बेवफाई किसी से करूँगा कैसे,
डर है,कोई बेवफा ना बताये मुझे कभी
-kumar
Thursday 19 May 2011
Tuesday 17 May 2011
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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें - अरविन्द
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एक अरसा हो गया माँ, तेरे हाथ के मोटे मोटे रोट खाये हुए वो गीले उपलों को जलाने की जद्दोजहद में तेरे आंचल का गीला होना अब भी याद है मुझे....
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