Friday 10 June 2011

ज़ज्बात



नजर तेरी से टकराकर,नजर देखूंगा
तू मुझमें देख ले खुद को,मैँ तुझमेँ खुद को देखूंगा
बेशक मिटा दो जहन से आइने का भरम,
मैं अब डूबकर चेहरा तेरी आँखों मेँ देखूंगा




कोई है वहाँ पर,आबाज नहीं देता
बक्त भी अब मेरा साथ नहीं देता
तिनके तिनके पे तेरी बातों को लिखा था मैने
आज कोई जर्रा मुझे साज नहीं देता

-kumar



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जमीं पे कर चुके कायम हदें, चलो अब आसमां का रुख करें  - अरविन्द